हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी ने "एक ही शहर में दो जुमा की नमाज़ क़ायम करने!" मे संबंध मे पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।, जिसे शरिया कानून में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।
*एक ही शहर में दो जुमे की नमाज क़ायम करना!
प्रश्न: क्या एक ही शहर में दो जुमे की नमाज़ पढ़ी जा सकती है?
उत्तर: यदि दूसरे जुमे की नमाज़ एक फ़रसख़ (लगभग 5.5 किमी) से कम दूर है, तो यदि दोनों एक ही समय पर शुरू होती हैं, तो दोनों बातिल होंगी, और यदि एक नमाज़ दूसरे से पहले शुरू होती है चाहे तकबीरतुल अहराम ही हो तो पहले शुरु होने वाली नमाज जुमा सही होगाी और दूसराी बातिल, लेकिन अगर जुमे की नमाज़ पढ़ने के बाद पता चले कि इसके पहले एक और जुमे की नमाज़ भी एक फ़रसख से कम दूरी पर पढ़ी गई है, तो उसकी जुमे की नमाज़ सही मानी जाएगी और ज़ुहर की नमाज़ पढ़ना वाजिब नही है।
और यह याद रखना चाहिए कि उपरोक्त दूरी के भीतर जुमे की नमाज़ क़ायम करने से दूसरे जुमे की नमाज़ बातिल होने का कारण बनेगी जबकि वह जुमे की नमाज़ स्वयं सही है और उसमें सभी शर्ते पाई जाती हो, लेकिन अगर इस जुमे की नमाज़ में शर्तें नहीं पाई जाती हैं, तो शर्तो के साथ पढ़ी जाने वाली जुमे की नमाज़ के लिए रुकावट नही होगी।
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